ऐ मेरे रब्ब जब हैरत में देखता हूँ
और सोचता तेरी कुदरत का कमाल
आसमान के तारे बादल की गरज़ में
मैं देखता आलम में तेरा जलाल.
कोरस
तब मेरी रूह तेरी सना गाती
तू है अज़ीम कितना अज़ीम
तब मेरी रूह तेरी सना गाती
तू है अज़ीम कितना अज़ीम.
जब जंगल वादी में, मैं फिरता रहता
और सुनता चिड़ियों की सुहानी राग
और पर्वत की हवा और नदियों में
मैं देखता हूँ एक आसमानी मार्ग.
कोरस
जब सोचता हूँ कि मेरे रब्ब ने प्यार से
भेजा था अपने बेटे को यहां
कि मेरा बोझ सलीब पर वह उठाए
और ख़ून बहा कर फिदया दे वहां.
कोरस
जब येसु तू आयेगा मुझे लेने
आसमान पर होगी एक आवाज़ हलीम
फिर झुक कर मैं सिजदे गाऊंगा, रब्ब
और पुकारूंगा तू ही है अज़ीम.
कोरस